लुब्धक तारा(Sirius) रात्री आकाश मे सबसे ज्यादा चमकदार तारा है। यह सूर्य के सबसे समीप के तारों मे से एक है, इसकी दूरी 9 प्रकाशवर्ष है। सौर मंडल से दूरी मे इसका स्थान सांतवां है।
रात्री आकाश मे इसे खोजना आसान है। मृग नक्षत्र के मध्य(Orion Belt) के तारो की सीध मे इसे आसानी से देखा जा सकता है। यह सूर्य के तुलना मे एक दीप्तीमान तारा है तथा सूर्य से दोगुना भारी है।
लुब्धक तारा वास्तविकता मे युग्म तारा है, इसमे प्रमुख चमकदार तारा सिरिअस ए है, जबकि इसका दूसरा तारा सिरिअस बी एक श्वेत वामन(White Dwarf) तारा है। यह श्वेत वामन तारा सूर्य के तुल्य द्रव्यमान रखता है। यह दोनो तारे एक दूसरे की परिक्रमा 50 वर्षो मे करते है।
इस युग्म तारा प्रणाली मे श्वेत वामन तारे के होने का अर्थ यह है कि यह तारा युग्म हमेशा ऐसा नही रहा होगा। किसी समय भूतकाल मे श्वेत वामन तारा लाल महादानव(Red Gaint) के रूप मे रहा होगा। इसके प्रमाण है कि यह सिरिअस बी का लाल महादानव तारे से श्वेत वामन तारे मे रूपांतरण पिछले कुछ हजार वर्षो मे हुआ होगा। प्राचिन कथाओ के अनुसार सिरिअस भूतकाल मे लाल दिखायी देता था जो की सीरीयस बी की श्वेत वामन तारे के रूप मे होती हुयी मृत्यु की अंतिम लाल चमक थी।
इस तारे को ग्रीक मिथको के अनुसार सिरिअस(Sirius) कहा जाता है। इसे श्वान तारा(Dog Star) भी कहा जाता है। इस तारे ने मिश्र की सभ्यता मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इसके उदय होने का काल, निल नदी की बाढ़ के समय से मेल खाता है। निल नदी की बाढ़ पर मिश्र का कृषि चक्र निर्भर है।
सीरियस.
कुछ मजाकिया तारे नहीं हैं क्या? 🙂
आशीष जी ! रोमांचक जानकारियाँ देने के लिए साधुवाद !
काल्पनिक ही सही पर अंतरिक्ष को करीब से देखने का सपना बचपन से लेकर अंतिम समय तक लोगों में बना ही रहता है. कदाचित यही एक ऐसा विषय है जिसने मनुष्य को अपनी और सर्वाधिक उत्सुकता के साथ आकर्षित किया है.
कौशलेन्द्र जी,
आपकी टिपण्णी के लिए धन्यवाद!
इस ब्लाग में कुछ भी “काल्पनिक” नहीं है, सभी प्रमाणिक तथ्य और चित्र है.
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