अविश्वसनीय, अद्भुत और रोमाँचक: अंतरिक्ष

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सौर मंडल की सीमा पर वायेजर 1

In अंतरिक्ष, अंतरिक्ष यान, सौरमण्डल on जून 15, 2012 at 7:53 पूर्वाह्न

चित्रकार की कल्पना मे वायेजर 1 की वर्तमान स्थिती

चित्रकार की कल्पना मे वायेजर 1 की वर्तमान स्थिति

नासा के अंतरिक्ष यान वायेजर 1 के ताजा आंकड़ो से ऐसा लग रहा है कि वह सौर मंडल की सीमा पर पहुंच चूका है। अब वह ऐसे क्षेत्र मे है जहाँ पर सौर मंडल बाह्य आवेशित कणो की मात्रा स्पष्टतया अधिक है। वायेजर से जुड़े वैज्ञानिक इन सौरमंडल बाह्य आवेशित कणो की मात्रा मे आयी तीव्र वृद्धि से इस ऐतिहासिक निष्कर्ष पर पहुंचे है कि वायेजर अब ऐसा प्रथम मानव निर्मित यान है जो कि सौर मंडल की सीमा तक जा पहुंचा है।

वायेजर यान

वायेजर यान

वायेजर से आने वाले आंकड़े पृथ्वी तक 17.8 अरब किमी की यात्रा करने मे अब 16 घंटे 38 मिनिट लेते है। नासा के डीप स्पेश नेटवर्क द्वारा प्राप्त वायेजर के आंकड़े सौरमंडल बाह्य आवेशित कणो की विस्तृत जानकारी देते है। ये आवेशित कण हमारे खगोलीय ब्रह्मान्डीय पड़ोस मे तारो के सुपरनोवा विस्फोट से उत्पन्न होते है।

जनवरी 2009 से जनवरी 2012 के मध्य मे ब्रह्माण्डीय विकिरण की मात्रा मे वायेजर ने 25% की वृद्धि दर्ज की है। लेकिन हाल ही मे वायेजर ने इन किरणो की मात्रा मे तीव्र वृद्धि देखी है, 7 मई 2012 के पश्चात इन कणो मे वृद्धि हर सप्ताह 5% की दर से हो रही है और पिछले एक महीने 9% मे वृद्धि देखी गयी है।

यह स्पष्ट वृद्धि हमारे अंतरिक्ष अभियान मे एक नये युग का प्रारंभ है। इस अंतरिक्षयान से प्राप्त सूचनाओं का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उसने हीलीयोस्फीयर के आवेशित कणो की मात्रा मे कमी दर्ज की है। हीलीयोस्फीयर सूर्य द्वारा उत्सर्जित आवेशित कणो का एक बुलबुला है। जब वायेजर सौर मंडल की सीमा पार कर जायेगा, तब सूर्य द्वारा उत्सर्जित कणो की मात्रा मे एक तेज कमी आयेगी और एक नया इतिहास बनेगा।

वायेजर से प्राप्त सौर मंडल के इन अंतिम आंकड़ो से वैज्ञानिक को पता चलेगा कि वायेजर यान को घेरे हुये चुंबकिय धाराओं की दिशा मे परिवर्तन हो गया है। जब वायेजर हिलीयोस्फीयर मे है तब इन चुंबकिय धाराओं की दिशा पूर्व से पश्चिम है। जब वायेजर सौर मंडल के बाहर खगोलिय क्षेत्र मे पहुंच जायेगा इन चुंबकिय धाराओं की दिशा उत्तर-दक्षिण होगी। इस विश्लेषण के लिये कई हफ़्ते लग जायेंगे और वायेजर वैज्ञानिक अभी इसका अध्यन कर रहे हैं।

वायेजर को 1977 मे प्रक्षेपित किया गया था, तब अंतरिक्ष अभियान केवल 20 वर्ष का था, उस समय किसी ने सोचा भी नही था कि वायेजर सौर मंडल की सीमाओं तक जा सकेगा। लेकिन वायेजर 1 (वायेजर 2 भी) ने सारी उम्मीदों से कहीं आगे जाकर अपने अभियान को एक नयी उंचाईयों तक पहुंचाया है।

यह दोनो यान अभी भी अच्छी अवस्था मे हैं। वायेजर 2 सूर्य से 14.7 अरब किमी दूरी पर हैं। दोनो वायेजर अभियान के तहत कार्य कर रहे है, जोकि सौर मंडल के ग्रहों के अध्यन का विस्तारित अभियान है।

वर्तमान मे वायेजर मानवता के सबसे दूरस्थ सक्रिय दूत है।

यह भी देखें :

  1. ब्रह्माण्ड की अनंत गहराईयो की ओर : वायेजर १
  2. मानव इतिहास का सबसे सफल अभियान :वायेजर २

शुक्र के सूर्य संक्रमण का सीधा प्रसारण

In ग्रह, सौरमण्डल on जून 6, 2012 at 6:17 पूर्वाह्न


आज बुधवार, 6 जून, 2012एक दुर्लभ खगोलीय घटना होने वाली है। सूर्य पर शुक्र ग्रह का साया पड़ने वाला है जिसे “शुक्र संक्रमण” कहते हैं।

ये नज़ारा अगले 105 वर्षों तक दोबारा नज़र नहीं आयेगा। हवाई, अलास्का, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी एशिया के आसमान पर इसे छह घंटे से ज्यादा समय तक देखा जा सकेगा।

दुनिया की अन्य जगहों पर इस आकाशीय घटना का आरंभ या अंत ही नजर आएगा।

वैज्ञानिकों के लिए इस घटना का विशेष महत्व है। वे शुक्र संक्रमण के दौरान सूर्य से आने वाले प्रकाश का अध्ययन करेंगे।

इससे उन्हें आकाशगंगा में पृथ्वी के समान अन्य ग्रहों की खोज में मदद मिलेगी।