अविश्वसनीय, अद्भुत और रोमाँचक: अंतरिक्ष

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अलविदा नील आर्मस्ट्रांग. प्रथम चन्द्रयात्री नील आर्मस्ट्रांग का ८२ वर्ष की उम्र मे निधन

In अश्रेणीबद्ध on अगस्त 26, 2012 at 5:25 पूर्वाह्न

प्रथम चन्द्रयात्री नील आर्मस्ट्रांग

प्रथम चन्द्रयात्री नील आर्मस्ट्रांग

चन्द्रमा पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग इस दुनिया को अलविदा कह गए। बयासी वर्ष की आयु में शनिवार 25 अगस्त  को उनका निधन हो गया।

जुलाई 1969 को अपोलो-11 मिशन का नेतृत्व करते हुए नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर पहला कदम रखा था। इस दौरान उन्होंने कहा था,
“मनुष्य के लिए यह एक छोटा कदम, पूरी मानव जाति के लिए बड़ी छलांग साबित होगा।”

नौसेना में एक चालक के तौर पर काम करने के बाद नील आर्मस्ट्रॉंन्ग ने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उन्होंने एक शोध परियोजना के साथ काम करना शुरू कर दिया जो कि बाद में अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का हिस्सा बन गया।

अंतरिक्ष यात्री

एक अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुने जाने के बाद वो उस चालक दल का हिस्सा बने जो पहली बार अंतरिक्ष में दो पहिया वाहन ले जाने में सफल रहा।

अपने दल के दूसरे साथियों सहित नील आर्मस्ट्रॉंग को अमरीका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान कॉग्रेशनल गोल्ड मेडल से नवाज़ा गया है।

पानी रे पानी! कितना पानी ?

In अश्रेणीबद्ध on मई 30, 2012 at 9:12 पूर्वाह्न

पृथ्वी और युरोपा मे पानी की मात्रा की तुलना

पृथ्वी और युरोपा मे पानी की मात्रा की तुलना

यह माना जाता है कि पृथ्वी के तीन चौथाई भाग मे पानी है लेकिन पानी की कुल मात्रा कितनी है ?

इस चित्र के दाहीने भाग मे पृथ्वी है, और उस पर निला गोला पृथ्वी पर पानी की कुल मात्रा दर्शा रहा है। पृथ्वी की तीन चौथाई सतह पर पानी है लेकिन इसकी गहराई पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना मे कुछ भी नही है। पृथ्वी के संपूर्ण पानी से बनी गेंद की त्रिज्या लगभग 700 किमी होगी, जोकि चंद्रमा की त्रिज्या के आधे से भी कम है। यह मात्रा शनि के चंद्रमा रीआ से थोडी़ ज्यादा है, ध्यान रहे कि रीआ मुख्यतः पानी की बर्फ से बना है।

चित्र मे बायें बृहस्पति का चंद्रमा युरोपा और उसपर पानी की मात्रा दिखायी गयी है। युरोपा मे पानी की मात्रा पृथ्वी पर पानी की मात्रा से भी ज्यादा है! युरोपा पर पानी उसकी सतह के नीचे लगभग 80-100 किमी की गहरायी तक है। युरोपा के पानी से बनी गेंद  की त्रिज्या व्यास 877 किमी होगी।

इसलिये वैज्ञानिक आजकल युरोपा मे जीवन की संभावना देख रहे हैं!

ऐठी हुयी आकाशगंगा : स्पायरल आकाशगंगा ESO 510-13

In अश्रेणीबद्ध on मार्च 5, 2012 at 8:09 पूर्वाह्न

ESO 510-13 : एक ऐठी हुयी आकाशगंगा

ESO 510-13 : एक ऐठी हुयी आकाशगंगा

ये क्या ? स्पायरल आकाशगंगा ESO 510-13 के आकार को क्या हुआ ? क्या किसी ने इसे मरोड़ कर ऐंठ दिया है ?

अधिकतर स्पायरल आकाशगंगाये का मुख्य मंडल (Disk) पतला और सपाट होता है लेकिन यह ठोस नही होता है। स्पायरल मंडल सामान्यत: अरबो तारो और गैसा का एक विशालकाय समूह होता है, जो आकाशगंगा के केन्द्र की गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव मे परिक्रमा कर रहा होता है। आकाशगंगा का सपाट मंडल(Disk) उसके निर्माण के प्रारंभिक काल मे गैस के महाकाय बादलो के टकराव से बनता है। चित्र मे दिखायी गये ऐंठन वाली स्पायरल आकाशगंगाये असामान्य नही हैं। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी मे भी एक ऐसी ही छोटी ऐठन है। इस तरह की ऐठंन के कारण अज्ञात है लेकिन यह दो आकाशगंगाओ के टकराव से या उनके एक दूसरे पर गुरुत्विय प्रभाव से संभव है।

प्रस्तुत चित्र मे दिखायी दे रही आकाशगंगा पृथ्वी से 1500 लाख प्रकाशवर्ष दूरी पर तथा 100,000 प्रकाशवर्ष चौड़ी है।

हमारे सूर्य का भविष्य : हेलिक्स निहारीका

In अश्रेणीबद्ध, निहारीका on फ़रवरी 22, 2012 at 5:23 पूर्वाह्न

हेलिक्स निहारीका

हेलिक्स निहारीका : हमारे सूर्य का भविष्य !

क्या भविष्य मे 5 अरब वर्ष पश्चात हमारा सूर्य की यह अवस्था होगी ?

यह हेलिक्स निहारीका है जो कि हमारे समीप की सबसे चमकदार “ग्रहीय निहारीका (planetary nebula)” है, एक गैस का विशालकाय बादल जो सूर्य के जैसे किसी तारे की मृत्यु के पश्चात निर्मित होता है। सूर्य के जैसे की मृत्यु के समय उसकी गैस की बाह्य परतें एक विस्फोट के साथ अंतरिक्ष मे फेंक दी जाती है और वह इस तरह की खूबसूरत निहारिका मे परिवर्तित हो जाता है। इस तारे का बचा हुआ केन्द्रक एक श्वेत वामन तारा बन जाता है। इस श्वेत वामन तारे द्बारा उत्सर्जित प्रकाश इतना ऊर्जावान होता है कि उसके द्वारा फेंकी गयी गैस इस प्रकाश मे चमकने लगती है, ठीक किसी नियान-बल्ब के जैसे।

हेलिक्स निहारीका जिसे NGC 7293 भी कहा जाता है, 2.5 प्रकाशवर्ष चौड़ी है तथा हमसे 700 प्रकाश वर्ष दूर कुंभ राशी की ओर है।
प्रस्तुत चित्र अवरक्त प्रकाश के तीन फिल्टरो से लिया गया है। इसे युरोपीयन दक्षिणी वेधशाला( European Southern Observatory) की चीली स्थित पारनल वेधशाला ( Paranal Observatory) की 4.1 मीटर चौड़ी “दृश्य तथा अवरक्त खगोलिय शोध दूरबीन (Visible and Infrared Survey Telescope for Astronomy VISTA)”  से लिया गया है।