अपोलो ९ यह अपोलो कार्यक्रम का तीसरा मानव सहित अभियान था। यह १० दिवसीय पृथ्वी की परिक्रमा का अभियान था जो ३ मार्च १९६९ को प्रक्षेपित किया गया था। यह सैटर्न राकेट की दूसरी मानव उडान और चन्द्रयान (Lunar Module) की पहली मानव उडान थी।
अभियान के अंतरिक्ष यात्री
- जेम्स मैकडिवीट (James McDivitt) (2 अंतरिक्ष उडान का अनुभव), कमांडर
- डेवीड स्काट (David Scott) (2 अंतरिक्ष उडान का अनुभव), नियंत्रण यान चालक
- रसेल स्कवीकार्ट(Russell Schweickart) (1 अंतरिक्ष उडान का अनुभव), चन्द्रयान चालक
वैकल्पिक यात्री दल
- पीट कोनराड (Pete Conrad) (जेमिनी ५, जेमिनी ११,अपोलो १२, स्कायलेब २ मे उडान),कमांडर
- डीक गोर्डान (Dick Gordon) (जेमिनी ११ और अपोलो १२ मे उडान),नियंत्रण कक्ष चालक
- एलेन बीन (Alan Bean) (अपोलो १२ और स्कायलैब ३की उडान), चन्द्रयान चालक
अकटूबर १९६७ मे यह तय किया गया था कि नियंत्रण कक्ष की पहली मानव उडान (अपोलो ७ या अभियान C) की उडान के बाद , दूसरा मानव अभियान(अभियान D) सैटर्न 1B पर अभ्यास करने के लिये किया जायेगा। इसके बाद चन्द्रयान को एक और सैटर्न 1B पर अभ्यास के लिये भेजा जायेगा। इसके अलावा सैटर्न ५ पर नियंत्रण कक्ष और चन्द्रयान दोनो को एक साथ भेजा जायेगा।
लेकिन चन्द्रयान की निर्माण समस्याओ के कारण अभियान D १९६९ के वसंत तक पूरा नही हो पाया, इसलिये नासा ने C और D के मध्य एक और प्राईम C अभियान भेजने का निर्णय लिया जो कि नियंत्रण कक्ष को(चन्द्रयान को छोड़कर) चन्द्रमा तक जायेगा।इस अभियान को अपोलो ८ कहा गया जो कि सफल था।
अपोलो ९ यह चन्द्रमा तक नही जाने वाला था,यह सिर्फ पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला अभियान था, इसे सैटर्न ५ राकेट से प्रक्षेपित किया गया जबकि योजना दो छोटे आकार वाले सैटर्न 1B की थी।
अभियान के मुख्य मुद्दे
अपोलो ९यह चन्द्रयान के साथ पहला अंतरिक्ष जांच अभियान था।१० दिनो की यात्रा मे तीनो हिस्सो राकेट , मुख्य नियंत्रण कक्ष और चन्द्रयान को अंतरिक्ष मे पृथ्वी की कक्षा मे स्थापित किया। चन्द्रयान को नियंत्रण कक्ष से अलग कर वापिस जोडने का अभ्यास किया गया। यह सब उसी तरह किया गया जैसा असली अभियान ने चन्द्रमा की कक्षा मे किया जाना था।
स्कीवीकार्ट और स्काट यान के बाहर (EVA- Extra Vehicular activity) की गतिविधीया की। स्कीवीकार्ट ने नये अपोलो अंतरिक्ष सूट की जांच की। इस सूट मे जिवन रक्षक उपकरण लगे हुये थे, इससे पहले के सूट कुछ पाईपो और तारो के जरिये यान से जुडे रहते थे।स्काट ने नियंत्रण कक्ष के हैच से स्कीवीकार्ट की गतिविधीयो का चित्रण किया। स्कीवीकार्ट अंतरिक्ष मे आनेवाली शारीरीक परेशानीयो से जुझने लगा था इसलिये जांच सिर्फ चन्द्रयान तक ही सीमीत रही।
मैकडीवीट और स्कीवीकार्ट ने चन्द्रयान की जांच उडान की।चन्द्रयान के मुख्य यान से अलग होने और जुडने का अभ्यास किया। उन्होने चन्द्रयान को मुख्ययान से १११ मील की दूरी तक उडाते ले गये।
अभियान के अंत मे अपोलो ९ प्रशांत महासागर मे गीर गया जिसे USS गुडालकैनाल जहाज ने निकाला।
बहुत अच्छी जानकारी. बधाई.
इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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