जब आप रात्रि आकाश का निरीक्षण कर रहे हो तो हो सकता है कि आप इस तारे केप्लर 62को नजर-अंदाज कर दें। यह एक साधारण तारा है, कुछ छोटा , कुछ ठंडा, सूर्य से कुछ ज्यादा गहरे पीले रंग का, इस तारे के जैसे खरबो तारे हमारी आकाशगंगा मे हैं। लेकिन यह तारा अपने आप मे एक आश्चर्य छुपाये हुये है। इसके परिक्रमा करते पांच ग्रह है, जिसमे से दो पृथ्वी के आकार के है, साथ ही वे अपने तारे के जीवन की संभावना योग्य क्षेत्र मे हैं।
केप्लर 62e तथा केप्लर 62f नामके दोनो ग्रह पृथ्वी से बडे है लेकिन ज्यादा नहीं, वे पृथ्वी के व्यास से क्रमशः 1.6 और 1.4 गुणा बडे है। केप्लर 62e का परिक्रमा कल 122दिन का है जबकि केप्लर 62fका परिक्रमा काल 257 दिन है क्योंकि वह बाहर की ओर है।
मातृ तारे के आकार और तापमान के अनुसार दोनो ग्रह अपनी सतह पर जल के द्रव अवस्था मे रहने योग्य क्षेत्र मे है। लेकिन यह और भी बहुत से कारको पर निर्भर है जो कि हम नही जानते है उदाहरण के लिये ग्रहो का द्रव्यमान, संरचना, वातावरण की उपस्थिति और संरचना इत्यादि। हो सकता है कि केप्लर 62e का वायू मंडल कार्बन डाय आक्साईड से बना हो जिससे वह शुक्र के जैसे अत्याधिक गर्म हो और जिससे जल के द्रव अवस्था मे होने की संभावना ना हो।
लेकिन ह्मारे अभी तक के ज्ञान के अनुसार, इन ग्रहों के चट्टानी और द्रव जल युक्त होने की संभावनायें ज्यादा हैं।
इन ग्रहों की खोज संक्रमण विधी से की गयी है। इस विधी मे केप्लर उपग्रह अंतरिक्ष मे 150,000तारों को घूरते रहता है। यदि कोई ग्रह अपने मातृ तारे की परिक्रमा करते हुये केप्लर और अपने मातृ तारे के मध्य से गुजरता है तो वह अपने मातृ तारे पर एक संक्रमण या ग्रहण लगाता है। इससे मातृ तारे की रोशनी मे हलकि से कमी आती है। रोशनी मे आई इस कमी की मात्रा और तारे के आकार से ग्रह का आकार जाना जा सकता है।
इसी कारण से पृथ्वी के आकार के ग्रह खोजना कठिन होता है क्योंकि वे अपने मातृ तारे के प्रकाश का केवल 0.01% प्रकाश ही रोक पाते है। लेकि केप्लर के निर्माण के समय इन बातों का ध्यान रखा गया था कि वह प्रकाश मे आयी इतनी छोटी कमी को भी जांच पाये। केप्लर ने अभी तक कई छोटे ग्रह खोज निकाले है।
दूसरी समस्या समय की है कि तारे का निरीक्षण सही समय पर होना चाहिये। मातृ तारे के जीवन योग्य क्षेत्र के ग्रह का परिक्रमा काल महिनो या वर्षो मे होता है जिससे वह मातृ तारे पर संक्रमण महिने, वर्षो मे लगाता है, एक ग्रह की पुष्टी के लिये एकाधिक संक्रमण चाहिये होते हैं। इन सब मे समय लगता है लेकिन केप्लर इन तारों को वर्षो से देख रहा है इसलिये हमे अब परिणाम तेजी से मील रहे है।
बहुत सुन्दर लेख | बेहद लाभप्रद और ज्ञानपूर्ण जानकारी |
आभर
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बहुत सारी सारगर्भित जानकारी के लिए धन्यवाद।
Sare jaha se achchha HINDUSTAN HAMARA
antryksh ka drisya
Keplar grah dusare grah par sankraman kaise karata hai¶
Abhi tak dinya me kitne pindo ki khoj ki hai
हज़ारों !
Hamare grah ke insan oxygen gas lete hai to dusare grah ke insan kaun sa gas lenge.
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thanks
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ,हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अंतरिक्ष से जूरी जानकारियों में दिलचस्पी रखते हैं पर भाषा के वजह से समझ नहीं पाते उन सभी के तरफ से भी आपका धन्यवाद
महाशय कृपया आपके फेसबुक पेज का लिंक सेंड करे
मेरे लिए बहुत ही अच्छा … आकाश और ब्रह्माण्ड के बारे में कल्पना करना बहुत ही अच्छा लगता है.!
Anakita: chand par jeevan nai hai,qki uska vatavaran bahut hi patla hai. Vaha 02,Ap,gravity&temperature bahut kam hai
bhut achi achi jankari mili muje yaha se
but qus ka ans muje nh mila
ki kya chand pe jeevan h ya nh
mtlb ki kya waha pani or hawa mila h ya nh
plz muje iska ans jaldi de
thanks
मूझे लगता हे की चाँद पर जीवन हो सकता हे ..पर कीसीने कहा हे की एक लड़की को 4-5 एलीयन ने ले जाकर चाँद पे ही उसके साथ ज़बरदस्ती की ये सच हे क्या ??
नहीं, ये सब केवल अफवाहें हैं।
Very nice article!!!!!
sr kya esa sambhav h ki kepLar F62 pr jivan chal raha ho or waha ka jivan karm suruaati level pr ho ya fir hmri hi trh wo b prhtivi pt jivan k anuman laga rahe ho. krpya is baat pr apni raay de sr.
बहुत अच्छे, हमारी भाषा को इसी तरह सम्मान मिलना चाहिए
यह अत्यंत भ्रामक एवं अवांछनीय है।
काफी रोजक हैं
बेहतरीन
बहुत खूब!
HindiPanda