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पीएसएलवी सी 17: तीन महिला वैज्ञानिको के हाथ जीसैट 12 की कमान

In अंतरिक्ष यान on जुलाई 19, 2011 at 7:00 पूर्वाह्न

पी एस एल वी सी 17 का श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण

पी एस एल वी सी 17 का श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण

दिनांक 15 जुलाई 2011 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी सी-17(Polar Satelite Launch Vehical-PSLV C17) के ज़रिए संचार उपग्रह जीसैट-12(GSAT-12) को अंतरिक्ष में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है।

इसरो के श्रीहरिकोटा रेंज से उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया और पूरी प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के पूरी हुई।

जीसैट-12 में 12 सी-ट्रांसपांडर्स हैं जो टेलीमेडिसिन और टेलीफोन सेवाओं के लिए इस्तेमाल किए जा सकेंगे। जीसैट-12 संचार सेटेलाइट का वज़न 1410 किलोग्राम है।

संचार उपग्रह जीसैट-12 की सभी प्रणालियां सामान्य ढंग से काम कर रही है। उपग्रह का सौर पैनल पहले से ही तैनात है। उपग्रह जीसैट-12 को अगले कुछ दिनों में भू-स्थिर कक्षा में स्थापित किए जाने की उम्मीद है। इस उपग्रह के आठ साल तक सक्रिय रहने की संभावना है। १२ विस्तारित सी बैंड ट्रांसपोंडर के साथ यह उपग्रह शिक्षा, चिकित्सा और ग्रामीण संसाधन केन्द्रों की विभिन्न संचार सेवाओं के लिए इनसेट प्रणाली की क्षमता बढ़ाएगा।

श्रीहरिकोटा स्थित मिशन नियंत्रण केन्द्र में इसे छोड़े जाने के बाद वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। उपग्रह छोड़े जाने के करीब एक हजार दो सौ पच्चीस सैंकेड बाद जीसैट-12, प्रक्षेपण यान से अलग हो गया और पृथ्वी की कक्षा मे पहुंच गया। इसके कुछ मिनट बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन -इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर राधाकृष्णन ने इसके सफलतापूर्वक छोड़े जाने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि प्रक्षेपण यान ने उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया है।

यह कहने में हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपणयान-पी एस एल वी सी-१७ मिशन सफल रहा है। प्रक्षेपणयान ने उपग्रह को बहुत ठीक तरीके से योजना के अनुसार सही स्थान पर पहुंचाया है।

जीसैट 12 उपग्रह प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष अभियान मे एक मील का पत्त्थर है, इस उपग्रह के कक्षा मे पहुंचने की जिम्मेदारी तीन महिला वैज्ञानिकों के हाथ मे है। इन वैज्ञानिको के नाम है प्रोजेक्ट डायरेक्टर टी के अनुराधा, अभियान डायरेक्टर प्रमोदा हेगड़े तथा आपरेशन डायरेक्टर के एस अनुराधा। उपग्रह के अपनी अंतिम कक्षा मे पहुंचने के लिए 4 से 6 सप्ताह लगेंगे,उसके बाद यह अभियान पूर्णतः सफल हो जायेगा।

आम तौर पर पीएसएलवी का इस्तेमाल रिमोट सेंसिंग उपग्रहों को लांच करने में किया जाता था जो क़रीब एक हज़ार किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित किया जाता है। ध्यान दें कि पीएसएलवी का अर्थ ही ध्रुविय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन है। यह पहली बार है जब पीएसएलवी के ज़रिए किसी उपग्रह को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑरबिट(भूस्थानिक कक्षा) में स्थापित किया जा रहा है। कहने का अर्थ ये है कि आम तौर पर जियोस्टेशनलरी ऑरबिट के लिए पहली बार इतने छोटे यान का उपयोग हो रहा है जिसके लिए मिशन में कई फेर बदल किए गए हैं।

पहले संचार उपग्रहों के लिए या तो जीएसएलवी का उपयोग होता था या फिर विदेशी राकेट की सेवाएँ ली जाती थीं। लेकिन जीएसएलवी-एफ़06 यान के ज़रिए पिछले साल किया गया उपग्रह प्रक्षेपण विफल हो गया था। इसरो के पास पर्याय कम थे, जीएसएलवी के भरोसेमंद होने तक इंतजार नही किया जा सकता था और विदेशी राकेट महंगे पड़ते है।

पीएसएलवी भारत का सबसे भरोसेमंद राकेट रहा है। भारत के चंद्रयान मिशन के लिए भी पीएसलवी का ही इस्तेमाल किया गया था। इस साल इसरो ने अप्रैल में पीएसएलवी सी-16 का श्रीहरिकोटा से सफ़ल प्रक्षेपण था। पीएसएलवी सी-16 अपने साथ रिसोर्ससैट-2, एक्ससैट और यूथसैट लेकर गया था।

इसरो के वैज्ञानिको को इस सफलता के लिए बधाई!